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Speech Essay on Pandit Birju Maharaj Jayanti in Hindi 4 February
प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य कलाकार पंडित बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था।
भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं पसंदीदा कलाकारों में से एक, बृज मोहन नाथ मिश्रा (पंडित बिरजू महाराज के नाम से मशहूर) शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ के ‘कालका-बिंदादिन घराना’ से ताल्लुक रखते थे।
बिरजू महाराज के पिता और गुरु जगन्नाथ महाराज (अच्छन महाराज), चाचा शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे।
पंडित बिरजू महाराज की कलात्मक शख्सियत ऐसी रही है, जो तर्क से परे मानी जाती है। वे गुरु, नर्तक, कोरियोग्राफर, गायक और कंपोजर थे। वे तालवाद्य बजाते थे, कविता लिखते थे और चित्रकारी भी करते थे। वर्ष 1983 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित बिरजू महाराज ने बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी डांस कोरियोग्राफ किया, जिनमें उमराव जान, डेढ़ इश्किया, बाजीराव मस्तानी जैसी फिल्में शामिल हैं। पद्म विभूषण के अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिल चुका है।
वर्ष 2012 में ‘विश्वरूपम’फिल्म में कोरियोग्राफी के लिए उन्हें ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। बाजीराव मस्तानी के ‘मोहे रंग दो लाल’ गाने की कोरियोग्राफी के लिए उन्हें वर्ष 2016 में फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने पहली एकल प्रस्तुति बंगाल में आयोजित ‘मन्मथनाथ गुप्त समारोह’ में प्रदर्शित की थी, जहाँ उन्होंने ‘शास्त्रीय नृत्य’ के दिग्गजों के समक्ष अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन किया था।
17 जनवरी, 2022 को पारंपरिक भारतीय नृत्य शैली ‘कथक’ को विश्व पटल पर ले जाने वाले वाले प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का निधन हो गया।